Chanakya Niti: अगर आप भी अपने दुश्मन को देना चाहते हैं माता तो ध्यान में रखें आचार्य चाणक्य की यह चार बातें कोई भी नहीं दे पाएगा आपको मत आगे जानते हैं क्या कहती है चाणक्य नीति।
Chanakya Niti
पूरी विश्व में ऐसा कोई नहीं होगा की जो आचार्य चाणक्य को नहीं ही जानता होंगा। चाणक्य का नाम भारत के सबसे ज्ञानी विद्वानों में लिखा जाता है इस वजह से बहुत सारे लोग आज भी उनके नीतियों का पालन करते हैं चाणक्य अपनी नीति में बहुत सारी ऐसी चीजों के बारे में बताया है उसके पालन से लोगों की पूरी जिंदगी बदल सकती है आचार्य चाणक्य ने अपने ग में कई महत्वपूर्ण बातें लिखी है जिसका पालन से आपकी जिंदगी सफल हो सकती है।
नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः ॥
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम से यह कहा है कि किसी भी इंसान को ज्यादा बोला या हृदय से अधिक सरल नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसे लोगों को हमेशा नुकसान और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिस तरह जंगल में उन पेड़ों को पहले काट दिया जाता है जो सीधे होते हैं जबकि कपड़े या तिरछे पेड़ों को छोड़ दिया जाता है।
आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च।
पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ॥
आचार्य चाणक्य इस श्लोक में रहते हैं कि मनुष्य का जीवन कम धन ज्ञान और मृत्यु एक समान बराबर है तथा इन पांचो तत्वों का निर्माण माता के गर्भ से ही तय हो जाता है इस वजह से कोई भी व्यक्ति इस चाह कर भी नहीं बदल सकता।
यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते ।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव हि ॥
अपनी इस श्लोक के द्वारा चाणक्य कहते हैं कि जो मनुष्य निश्चित को गलत और अनिश्चित को सही मान लेता है उसकी बर्बादी तय है तथा उसका सब कुछ खत्म हो जाता है। इस वजह से हर मनुष्य को कोई भी फैसला लेने से पहले अच्छी तरह सोच विचार करना चाहिए।
कामधेनुगुना विद्या ह्यकाले फलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम् ॥
इस लोक में आचार्य चाणक कहते हैं कि विद्या कामधेनु गाय की तरह होती है जो हर किसी परिस्थिति में मनुष्य के लिए फलदाई होती है ज्ञान मनुष्य के लिए माता-पिता के तरह रक्षा करती है तथा इसे छुपा हुआ धन कहा जाता है।